तवैवाज्ञानतो विश्वं त्वमेकः परमार्थतः ।
त्वत्तोऽन्यो नास्ति संसारी नासंसारी च कश्चन ॥ १६ ॥
तुम्हारे निज स्वरूप के अज्ञान से ही विश्वकी सत्ता है। परमार्थतःएकमात्र तुम ही हो, तुमसे भिन्न न तो कोई संसारी (जीव) है और न कोई असंसारी (ईश्वर)।
“The world only arises from ignorance. You alone are real. There is no one, Not even God, Separate from yourself.”
~ (15.16) Ashtavakra Gita